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सोनम वांगचुक की सच्ची कहानी: शिक्षा, पर्यावरण और लद्दाख के संघर्ष की आवाज़ | Sonam Wangchuk Biography in Hindi

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सोनम वांगचुक: शिक्षा, पर्यावरण और लद्दाख की आत्मा के प्रहरी सोनम वांगचुक — यह नाम आज केवल लद्दाख का नहीं, बल्कि पूरे भारत का पर्याय बन चुका है। यह कहानी है एक ऐसे व्यक्ति की जिसने अपनी शिक्षा, नवाचार और संघर्ष से न सिर्फ लद्दाख के बच्चों का भविष्य बदला बल्कि दुनिया को यह दिखाया कि परिवर्तन सिर्फ भाषणों से नहीं, कर्म से आता है। 🌱 बचपन और शिक्षा: संघर्ष की जड़ों से उठता बदलाव 1 सितंबर 1966 को लद्दाख के उलेटोकपो गांव में जन्मे सोनम वांगचुक का बचपन सुविधाओं से बहुत दूर बीता। उनके गांव में स्कूल नहीं था, इसलिए उनकी मां ने ही उन्हें प्रारंभिक शिक्षा दी। नौ वर्ष की उम्र में जब वे श्रीनगर गए, तो उन्हें न सिर्फ भाषा बल्कि सांस्कृतिक भेदभाव का सामना करना पड़ा। लेकिन यही संघर्ष उनकी प्रेरणा बन गया। उन्होंने ठान लिया कि वे शिक्षा को ऐसा बनाएंगे जो स्थानीय संस्कृति, भाषा और समाज की ज़रूरतों से जुड़ी हो। आखिरकार उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, श्रीनगर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया और 1988 में लौटकर लद्दाख के बच्चों के लिए शिक्षा में क्रांति लाने की नींव रखी। ...