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गांधी बनाम डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर: दलितों के लिए किसकी सोच सही थी? | Gandhi vs Dr. Babasaheb Ambedkar: Daliton Ke Liye Kiski Soch Sahi Thi?

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  गांधी बनाम डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर: दलितों के लिए किसकी सोच सही थी? | Gandhi vs Dr. Babasaheb Ambedkar: Daliton Ke Liye Kiski Soch Sahi Thi? भूमिका भारत के सामाजिक और राजनीतिक इतिहास में महात्मा गांधी और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर दो ऐसे व्यक्तित्व हैं जिनके विचारों और संघर्षों ने देश की दिशा तय की। गांधी जी को राष्ट्रपिता कहा जाता है, जबकि डॉ. अंबेडकर भारतीय संविधान के निर्माता और दलित आंदोलन के सबसे बड़े नेता के रूप में जाने जाते हैं। लेकिन जब बात दलितों के अधिकारों और उनके सामाजिक उत्थान की आती है, तो इन दोनों महापुरुषों के दृष्टिकोण में गहरी भिन्नता दिखाई देती है। गांधी जी छुआछूत के खिलाफ थे लेकिन वर्ण व्यवस्था को कायम रखना चाहते थे। वहीं, डॉ. अंबेडकर जाति व्यवस्था को पूरी तरह समाप्त कर बराबरी का समाज बनाना चाहते थे। इस लेख में हम गांधी और अंबेडकर के विचारों का तुलनात्मक अध्ययन करेंगे और समझेंगे कि दलितों के लिए किसकी सोच अधिक व्यावहारिक और प्रभावी साबित हुई। 1. जाति और छुआछूत पर विचार गांधी का दृष्टिकोण गांधी जी ने जीवनभर छुआछूत के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने दलि...