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सावित्रीबाई फुले: भारत की पहली महिला शिक्षिका, समाज सुधारक और प्रेरणास्रोत

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सावित्रीबाई फुले: भारत की पहली महिला शिक्षिका, समाज सुधारक और प्रेरणास्रोत परिचय सावित्रीबाई फुले भारतीय समाज सुधारकों में अग्रणी थीं। उन्होंने उस दौर में नारी शिक्षा, दलित उद्धार और सामाजिक न्याय के लिए आवाज उठाई, जब महिलाओं को शिक्षा देना पाप माना जाता था। वे न केवल भारत की पहली महिला शिक्षिका बनीं, बल्कि एक कवयित्री, समाज सुधारक और लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत भी बनीं। 10 मार्च को उनकी पुण्यतिथि पर हम उनके अभूतपूर्व योगदान को याद करते हैं। उनका जीवन संघर्ष और सेवा का प्रतीक है और उनकी शिक्षाएं आज भी समाज के लिए मार्गदर्शक बनी हुई हैं। प्रारंभिक जीवन और शिक्षा 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव गाँव में जन्मी सावित्रीबाई माली समाज से थीं। यह समुदाय उस समय सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा माना जाता था। महिलाओं की शिक्षा को लेकर समाज की सोच इतनी संकीर्ण थी कि लड़कियों को पढ़ाना अपमानजनक समझा जाता था। सिर्फ नौ वर्ष की उम्र में उनकी शादी 13 वर्षीय ज्योतिराव फुले से हुई। यह विवाह उनके जीवन की दिशा बदलने वाला साबित हुआ। ज्योतिराव स्वयं एक समाज सुधारक...