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Ram Ki Paheli: Dr. Babasaheb Ambedkar Ka Shocking Analysis

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  राम की पहेली: डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की दृष्टि से नैतिक समीक्षा --- परिचय भारतीय समाज में राम एक ऐसे चरित्र हैं जिन्हें आदर्श पुरुषोत्तम माना जाता है। रामायण केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों के लिए जीवन जीने की प्रेरणा है। लेकिन क्या राम के जीवन से जुड़ी हर घटना नैतिक दृष्टि से आदर्श कही जा सकती है? डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर ने अपनी प्रसिद्ध कृति “Riddles in Hinduism” में इस प्रश्न को गहराई से परखा। विशेष रूप से “राम की पहेली” नामक खंड में उन्होंने रामायण की घटनाओं पर कई गंभीर और साहसिक सवाल उठाए। यह केवल धार्मिक विश्वास पर प्रहार नहीं था, बल्कि नैतिकता, तर्क और विवेक के आधार पर धर्म को परखने का प्रयास था। --- क्यों उठे ये सवाल? डॉ. अंबेडकर का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं था। उनका मानना था कि: धर्म तभी महत्वपूर्ण है जब वह न्याय, समानता और नैतिकता की राह दिखाए। अगर धर्म अन्याय और भेदभाव को बढ़ावा देता है, तो उस पर सवाल उठाना जरूरी है। “राम की पहेली” इसी विचार का परिणाम थी। आइए, इस विमर्श को विस्तार से समझते हैं। --- अप्राकृतिक जन्म और यज्ञ की कहानी वाल्म...

Krishna Ki Pehli Paheli: Ambedkar Ke Sawalon Ki Sachchai

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  कृष्ण की पहेली: डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की दृष्टि में ‘रिडल ऑफ कृष्ण’ प्रस्तावना डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “हिंदू धर्म की पहेलियाँ” (Riddles in Hinduism) में ऐसे सवाल उठाए हैं, जो भारतीय समाज की धार्मिक धारणाओं को गहराई से चुनौती देते हैं। इसी पुस्तक के “रिडल ऑफ कृष्ण” खंड में उन्होंने भगवान कृष्ण के जीवन, चरित्र और उनके आचरण पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। यह प्रश्न न केवल धार्मिक आस्था से जुड़े हैं, बल्कि नैतिकता और सामाजिक आदर्शों से भी संबंध रखते हैं। अंबेडकर का दृष्टिकोण स्पष्ट है—वे कृष्ण के जीवन से जुड़ी घटनाओं को महिमामंडित करने की बजाय आलोचनात्मक दृष्टि से परखते हैं। इस लेख में हम उन्हीं विचारों को विस्तार से समझेंगे। --- 1. कृष्ण की कहानी और महाभारत का संबंध अंबेडकर का पहला और सबसे महत्वपूर्ण तर्क यह है कि महाभारत मूल रूप से पांडवों की गाथा थी। प्रारंभिक रूप से इसमें कृष्ण की भूमिका बहुत सीमित या लगभग नगण्य थी। बाद में जब कृष्ण की पूजा और महत्व बढ़ाने की आवश्यकता महसूस हुई, तब उनकी कथाओं को जोड़कर महाभारत का विस्तार किया गया। अंबेडकर लिखते हैं कि यदि महाभारत को...

ECI की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर उठे बड़े सवाल: क्या लोकतंत्र में पारदर्शिता खतरे में है?

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  लोकसभा चुनाव 2024: क्या चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने भरोसा बढ़ाया या सवाल और गहरे किए? भारत का लोकतंत्र दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र माना जाता है। लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के बाद उठे सवालों ने इस लोकतंत्र की नींव को हिला दिया है। विपक्ष ने चुनाव आयोग (ECI) पर गंभीर आरोप लगाए कि चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली हुई, जबकि मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सारे आरोपों को खारिज कर दिया। लेकिन क्या उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस भरोसा दिलाने में सफल रही? क्या दिए गए जवाब पर्याप्त और पारदर्शी थे? आइए पूरी कहानी को गहराई से समझते हैं। --- विपक्ष के गंभीर आरोप – सिर्फ राजनीति नहीं, आंकड़ों के साथ सवाल कांग्रेस और विपक्ष का कहना है कि चुनावों में पारदर्शिता की कमी, फर्जी वोटिंग, और EVM की विश्वसनीयता सबसे बड़े मुद्दे रहे। मुख्य आरोपों में शामिल हैं: 70 सीटों पर संदिग्ध वोटिंग पैटर्न – राहुल गांधी का दावा कि इतनी बड़ी संख्या में वोटिंग पैटर्न का अचानक बदलना बिना गड़बड़ी के असंभव है। डुप्लीकेट और फर्जी वोटर लिस्ट – विपक्ष ने सबूत के तौर पर कई राज्यों में मृतकों के नाम ...

"Sitla Satam: Cold Food Risk Ya Science Ka Sach?- Edward Jenner

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  शीतला सप्तमी (शीतला सातम): अंधविश्वास, ठंडा भोजन और एडवर्ड जेनर की सच्चाई --- परिचय: परंपरा और तर्क का टकराव भारत परंपराओं का देश है। हर त्योहार, हर रिवाज के पीछे कभी न कभी कोई तर्क रहा होगा। लेकिन समय के साथ कई परंपराएं तर्क से कट गईं और अंधविश्वास में बदल गईं। शीतला सप्तमी, जिसे गुजरात और राजस्थान में शीतला सातम भी कहते हैं, ऐसी ही एक परंपरा है। इस दिन लोग एक दिन पहले भोजन बनाकर रखते हैं और अगले दिन ठंडा खाना खाते हैं, यह मानते हुए कि इससे शीतला माता प्रसन्न होंगी और बीमारियां नहीं फैलेंगी। लेकिन क्या यह परंपरा आज के समय में वैज्ञानिक दृष्टि से सही है? ✔ क्या बासी और ठंडा खाना खाना सुरक्षित है? ✔ क्या वास्तव में यह परंपरा स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है? ✔ जब विज्ञान ने चेचक जैसी घातक बीमारी को मिटा दिया, तब भी लोग देवी के डर से ऐसे रीति-रिवाज क्यों निभा रहे हैं? इस लेख में हम शीतला सप्तमी का इतिहास, इस परंपरा के पीछे का तर्क, इससे होने वाले नुकसान, और एडवर्ड जेनर की खोज से मिली सच्चाई को गहराई से समझेंगे। --- शीतला सप्तमी का इतिहास और उद्देश्य शीतला सप्तमी की परंपरा उस समय शुरू ह...