हमारा संविधान, हमारी पहचान -3


हमारा संविधान, हमारी पहचान – 3

भारतीय संविधान पर विदेशी संविधानों का प्रभाव | Sources of Indian Constitution


उपशीर्षक

भारतीय संविधान विश्व का सबसे विस्तृत और समावेशी संविधान है। इसे बनाने के लिए संविधान निर्माताओं ने विभिन्न देशों के संविधानों से प्रेरणा ली और भारतीय परिस्थितियों के अनुसार प्रावधानों को अपनाया। यही कारण है कि हमारा संविधान एक “बेस्ट प्रैक्टिसेज डॉक्यूमेंट” माना जाता है।


भूमिका

भारत का संविधान केवल भारत की ही देन नहीं है, बल्कि यह विश्व की संवैधानिक परंपराओं का समन्वय भी है। डॉ. भीमराव अंबेडकर और संविधान सभा ने विभिन्न देशों के संविधानों का गहन अध्ययन किया और उनमें से सर्वोत्तम प्रावधानों को चुनकर भारतीय संदर्भ में ढाला। आइए जानते हैं कि किन-किन देशों से भारत ने कौन-कौन सी विशेषताएँ ग्रहण कीं।


विदेशी संविधानों से लिए गए प्रमुख प्रावधान

1. ब्रिटेन (यूके)

  • संसदीय शासन प्रणाली
  • कानून का शासन (Rule of Law)
  • एकल नागरिकता
  • मंत्रिमंडल प्रणाली एवं सामूहिक उत्तरदायित्व

2. संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए)

  • मौलिक अधिकार
  • न्यायपालिका की स्वतंत्रता और न्यायिक पुनरावलोकन
  • उपराष्ट्रपति का पद
  • महाभियोग की प्रक्रिया

3. आयरलैंड

  • राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत
  • राष्ट्रपति का अप्रत्यक्ष निर्वाचन
  • राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वारा 12 सदस्यों का नामांकन

4. कनाडा

  • संघीय शासन व्यवस्था
  • अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र को
  • राज्यों में राज्यपाल की नियुक्ति केंद्र द्वारा

5. ऑस्ट्रेलिया

  • समवर्ती सूची
  • दोनों सदनों की संयुक्त बैठक का प्रावधान

6. जर्मनी

  • आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों का निलंबन

7. फ्रांस

  • स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्श
  • गणराज्य की अवधारणा

8. दक्षिण अफ्रीका

  • संविधान संशोधन की प्रक्रिया
  • राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन राज्य विधानसभाओं द्वारा

9. जापान

  • विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया (Procedure Established by Law)

विश्लेषण

भारतीय संविधान ने विभिन्न देशों की श्रेष्ठ संवैधानिक व्यवस्थाओं को अपनाकर उन्हें भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में ढाला। इसका उद्देश्य था—

  • एक ऐसा संविधान तैयार करना जो भारतीय समाज की विविधता और जटिलताओं को संभाल सके।
  • विश्व की सर्वोत्तम संवैधानिक परंपराओं को अपनाकर लोकतंत्र, समानता और न्याय को मजबूत करना।
  • भारत को एक समावेशी, न्यायपूर्ण और लोकतांत्रिक गणराज्य बनाना।

निष्कर्ष

भारतीय संविधान न केवल भारत की महान लोकतांत्रिक परंपराओं का प्रतीक है, बल्कि यह पूरी दुनिया की संवैधानिक बुद्धिमत्ता का सार भी है। यही कारण है कि इसे आज भी “दुनिया का सबसे जीवंत संविधान” कहा जाता है।

जय संविधान! जय भारत!


✍️ — Written by Kaushal Asodiya


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