मोदी-ट्रम्प मुलाकात: व्यापार या आत्मसमर्पण?


मोदी-ट्रम्प मुलाकात: व्यापार या आत्मसमर्पण?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मुलाकात को लेकर भारतीय मीडिया इसे "ऐतिहासिक" बता रहा है, लेकिन क्या यह सच में भारत के हित में है?

1️⃣ व्यापार या गुलामी?
मोदी सरकार भारत-अमेरिका व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाने की बात कर रही है, लेकिन क्या यह भारत के लिए फायदेमंद होगा या सिर्फ अमेरिकी कंपनियों का मुनाफा बढ़ाएगा? अमेरिकी कृषि और दवा कंपनियां भारतीय बाजार पर कब्जा जमाने की कोशिश में हैं। क्या हम अपनी अर्थव्यवस्था को उनके हाथों में दे रहे हैं?

2️⃣ रक्षा समझौते या आत्मनिर्भरता पर हमला?
मोदी सरकार अमेरिकी रक्षा सौदों की बात कर रही है, जिसमें फाइटर जेट्स और हथियारों की खरीद शामिल है। लेकिन क्या यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ की सोच के खिलाफ नहीं? हम अपनी सेना को और मजबूत कर रहे हैं या अमेरिकी हथियारों पर निर्भर बना रहे हैं?

3️⃣ क्या यह सिर्फ चुनावी स्टंट है?
अमेरिका में ट्रम्प फिर से राष्ट्रपति चुनाव लड़ रहे हैं, और भारत में भी चुनाव नजदीक हैं। क्या यह मुलाकात सिर्फ चुनावी फायदे के लिए हो रही है, बिना किसी ठोस नतीजे के?

4️⃣ क्यों नहीं उठाए गए असली मुद्दे?
H-1B वीजा, भारतीय प्रवासियों की समस्याएँ, अमेरिका द्वारा लगाए गए व्यापारिक प्रतिबंध – इन पर कोई चर्चा क्यों नहीं हुई? क्या भारत सिर्फ अमेरिकी एजेंडा को फॉलो कर रहा है?

अगर आपको लगता है कि यह सवाल जरूरी हैं, तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें! देश की विदेश नीति पर चर्चा होनी चाहिए, न कि सिर्फ अंधभक्ति!

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