Vice President of India (भारत के उपराष्ट्रपति): Election, Powers, Role & Removal Explained in Hindi
भारत के उपराष्ट्रपति: चुनाव प्रक्रिया, शक्तियाँ, सीमाएँ और विशेषाधिकार
लेखक: Kaushal Asodiya
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भारत जैसे विविधता से भरे लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति का पद केवल एक औपचारिक उपाधि नहीं है, बल्कि यह संवैधानिक ढांचे की एक मज़बूत कड़ी है। वह न सिर्फ संसद के ऊपरी सदन (राज्यसभा) के सभापति होते हैं, बल्कि राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में कार्यकारी नेतृत्व भी संभालते हैं। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे उपराष्ट्रपति की चयन प्रक्रिया, संवैधानिक शक्तियाँ, सीमाएँ, विशेष सुविधाएँ, और अब तक के उपराष्ट्रपतियों का इतिहास।
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🔷 उपराष्ट्रपति का संवैधानिक आधार
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 से 71 तक उपराष्ट्रपति से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख मिलता है।
अनुच्छेद 63 कहता है कि भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा।
अनुच्छेद 64 के अनुसार, उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति (Ex-officio Chairman) होते हैं।
अनुच्छेद 65 कहता है कि राष्ट्रपति के अनुपस्थित रहने या उनके पद रिक्त होने की स्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति का कार्यभार संभालते हैं।
इसका अर्थ यह हुआ कि उपराष्ट्रपति की भूमिका न केवल संसद तक सीमित है, बल्कि संकट की घड़ी में देश के संवैधानिक प्रमुख का कार्यभार भी संभालते हैं।
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🗳️ उपराष्ट्रपति का चुनाव: प्रक्रिया और पात्रता
🔹 चुनाव कौन करता है?
उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल (Electoral College) करता है, जिसमें केवल संसद के दोनों सदनों के सदस्य शामिल होते हैं:
राज्यसभा के निर्वाचित और नामांकित सदस्य
लोकसभा के निर्वाचित सदस्य
> ❗ ध्यान दें: राज्य विधानसभाओं के सदस्य इस चुनाव में हिस्सा नहीं लेते, जबकि राष्ट्रपति के चुनाव में वे शामिल होते हैं।
🔹 चुनाव की प्रक्रिया
चुनाव गुप्त मतदान (Secret Ballot) के माध्यम से होता है।
एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote) का उपयोग किया जाता है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि विजेता को पर्याप्त प्राथमिक समर्थन मिला हो।
चुनाव की निगरानी और आयोजन भारत का निर्वाचन आयोग करता है।
🔹 पात्रता (Eligibility)
उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के लिए कुछ न्यूनतम योग्यता निर्धारित की गई है:
मापदंड विवरण
न्यूनतम आयु 35 वर्ष
नागरिकता भारतीय नागरिक होना अनिवार्य
शैक्षिक योग्यता राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता होनी चाहिए
नामांकन समर्थन कम से कम 20 प्रस्तावक और 20 अनुमोदक आवश्यक
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📅 कार्यकाल और शपथ
उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है, लेकिन वे पुनः निर्वाचित हो सकते हैं।
कार्यकाल पूरा होने तक, या जब तक नया उपराष्ट्रपति कार्यभार नहीं संभाल लेता, तब तक वे पद पर बने रह सकते हैं।
शपथ ग्रहण भारत के राष्ट्रपति के समक्ष किया जाता है, जिसमें वे संविधान और राष्ट्र के प्रति निष्ठा की शपथ लेते हैं।
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⚖️ उपराष्ट्रपति के अधिकार और कार्य
1. राज्यसभा के सभापति के रूप में
उपराष्ट्रपति राज्यसभा के अध्यक्ष होते हैं और इसकी सभी कार्यवाहियों की अध्यक्षता करते हैं।
वे यह सुनिश्चित करते हैं कि सदन में अनुशासन बना रहे, नियमों का पालन हो और बहसें सार्थक हों।
प्रश्नकाल, विशेष सत्र और आपातकालीन प्रस्तावों की निगरानी भी उन्हीं के अंतर्गत आती है।
> ✅ उदाहरण: जब संसद में किसी विवादास्पद विधेयक पर तीखी बहस होती है, तो उपराष्ट्रपति का निष्पक्ष संचालन सदन की गरिमा बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।
2. कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में
अगर राष्ट्रपति पद रिक्त हो जाए (मृत्यु, इस्तीफा या महाभियोग के कारण), तो उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाते हैं।
वे तब तक राष्ट्रपति के कार्यभार को संभालते हैं जब तक नया राष्ट्रपति निर्वाचित नहीं हो जाता (अधिकतम 6 माह तक)।
> 🎯 ऐतिहासिक संदर्भ: 1969 में राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन के निधन के बाद, उस समय के उपराष्ट्रपति वी.वी. गिरी ने कार्यवाहक राष्ट्रपति का कार्य संभाला।
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🚫 उपराष्ट्रपति की सीमाएँ
उनके पास कोई कार्यपालिका शक्ति नहीं होती, जब तक वे कार्यवाहक राष्ट्रपति न बनें।
वे केवल राज्यसभा में अध्यक्षीय भूमिका निभाते हैं, लोकसभा में कोई भूमिका नहीं होती।
यदि वे राज्यसभा में पक्षपातपूर्ण निर्णय लें, तो उनके विरुद्ध आलोचना और विरोध दर्ज कराया जा सकता है।
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🛑 हटाने की प्रक्रिया (Removal of Vice President)
उपराष्ट्रपति को महाभियोग (Impeachment) के माध्यम से नहीं हटाया जाता, जैसा कि राष्ट्रपति के मामले में होता है।
उन्हें हटाने के लिए राज्यसभा में विशेष प्रस्ताव लाया जाता है:
प्रस्ताव लाने से कम से कम 14 दिन पहले नोटिस देना होता है।
इसे राज्यसभा में बहुमत से पारित करना होता है।
इसके बाद लोकसभा को इसे साधारण बहुमत से पारित करना होता है।
> ⚖️ यह प्रक्रिया जटिल नहीं है लेकिन दुर्लभ है। आज तक किसी भी उपराष्ट्रपति को इस प्रक्रिया द्वारा नहीं हटाया गया है।
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🏡 उपराष्ट्रपति को मिलने वाली विशेष सुविधाएँ
भारत के उपराष्ट्रपति को उनके संवैधानिक पद के अनुसार कुछ विशिष्ट सुविधाएँ प्राप्त होती हैं:
सुविधा विवरण
आवास लुटियंस दिल्ली में भव्य सरकारी आवास (6, मौलाना आज़ाद रोड)
वेतन और भत्ता ₹4 लाख प्रति माह (2023 के अनुसार), संसद द्वारा निर्धारित
यात्रा सुविधा विशेष विमान सेवा (VVIP), अर्धसैनिक सुरक्षा बल की सुरक्षा
चिकित्सा और स्टाफ सुविधा उच्च-स्तरीय मेडिकल सुविधा, निजी सचिव, सलाहकार स्टाफ
सेवानिवृत्त होने के बाद आजीवन पेंशन, निजी स्टाफ और आवास की सुविधा जारी रहती है
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👤 भारत के प्रमुख उपराष्ट्रपति: एक झलक
नाम कार्यकाल विशेष पहचान
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1952–1962 पहले उपराष्ट्रपति, बाद में राष्ट्रपति बने
डॉ. ज़ाकिर हुसैन 1962–1967 पहले मुस्लिम उपराष्ट्रपति
भैरो सिंह शेखावत 2002–2007 राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री, लोकप्रिय नेता
एम. वेंकैया नायडू 2017–2022 प्रभावशाली वक्ता और संसदीय प्रक्रियाओं के ज्ञाता
जगदीप धनखड़ 2022–वर्तमान वर्तमान उपराष्ट्रपति, पूर्व राज्यपाल (बंगाल)
इन सभी व्यक्तित्वों ने अपने-अपने समय में इस पद को गरिमा और नीतिगत दक्षता के साथ निभाया।
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🔚 निष्कर्ष: क्या उपराष्ट्रपति सिर्फ प्रतीकात्मक पद है?
बिलकुल नहीं। भारत का उपराष्ट्रपति लोकतांत्रिक संस्थाओं की संतुलित संरचना का अभिन्न हिस्सा है। भले ही उन्हें कार्यपालिका शक्तियाँ सीधे न प्राप्त हों, परंतु राज्यसभा की कार्यवाही में उनकी भूमिका अत्यंत निर्णायक होती है।
उनकी निष्पक्षता, दूरदृष्टि और संवैधानिक समझ देश की संसदीय गरिमा को बनाए रखने में सहायक होती है।
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क्या आपने कभी सोचा है कि उपराष्ट्रपति और राज्यसभा अध्यक्ष एक ही व्यक्ति क्यों होता है? या राष्ट्रपति के असमर्थ होने पर देश कौन संभालता है? अब आपको इन सवालों का उत्तर मिल चुका है।
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लेखक: Kaushal Asodiya