भारतीय नागरिकता: अनुच्छेद 7, 8 और 9 का विस्तृत विश्लेषण, सुप्रीम कोर्ट के फैसले और ऐतिहासिक विवाद

हमारा संविधान, हमारी पहचान – 13

भारतीय संविधान का भाग 2: अनुच्छेद 7, 8 और 9 का विस्तृत विश्लेषण

भारतीय संविधान का भाग 2 (अनुच्छेद 5 से 11) भारतीय नागरिकता के प्रावधानों को स्पष्ट करता है।
यह भाग यह तय करता है कि स्वतंत्रता के समय और उसके बाद कौन भारतीय नागरिक होगा, किन परिस्थितियों में किसी को नागरिकता दी जा सकती है, और कब कोई व्यक्ति अपनी भारतीय नागरिकता खो सकता है।

आज हम अनुच्छेद 7, 8 और 9 का गहन अध्ययन करेंगे।


अनुच्छेद 7: पाकिस्तान चले गए लोगों की नागरिकता

संवैधानिक प्रावधान:

  • जो व्यक्ति 1 मार्च 1947 के बाद पाकिस्तान चला गया और वहां की नागरिकता ले ली, वह भारतीय नागरिक नहीं रहेगा।
  • लेकिन यदि कोई व्यक्ति भारत सरकार से विशेष परमिट (Permit) प्राप्त करके भारत लौटता है, तो उसे भारतीय नागरिकता दी जा सकती है।
  • यह अनुच्छेद विभाजन के बाद भारत से पाकिस्तान गए लोगों की नागरिकता के बारे में स्पष्टीकरण देता है।

अनुच्छेद 7 की पृष्ठभूमि:

  • भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय लाखों लोग पाकिस्तान चले गए थे।
  • कुछ समय बाद, उनमें से कई लोग भारत लौटना चाहते थे।
  • लेकिन भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना था कि कोई द्वैध निष्ठा (Dual Loyalty) वाला व्यक्ति भारत की नागरिकता न ले सके।
  • इसलिए, एक विशेष "Permit System" बनाया गया, जिसके तहत पाकिस्तान से लौटने वाले लोग भारत सरकार से अनुमति लेकर ही भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकते थे।

सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले:

1. मोहमद अयूब खान बनाम भारत संघ (1967)

  • कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जो व्यक्ति पाकिस्तान जाकर वहां की नागरिकता ले चुका है, वह भारतीय नागरिक नहीं रह सकता।

2. इब्राहिम बनाम भारत सरकार (1973)

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो व्यक्ति पाकिस्तान से भारत लौट रहा है, उसे विशेष परमिट लेना होगा, अन्यथा वह भारतीय नागरिकता का दावा नहीं कर सकता।

3. हसन अली बनाम भारत सरकार (1981)

  • कोर्ट ने कहा कि जो लोग पाकिस्तान में अपनी संपत्ति छोड़कर भारत लौटे हैं, उन्हें नागरिकता तभी दी जाएगी जब उन्होंने भारत सरकार की सभी शर्तों का पालन किया हो।

अनुच्छेद 8: विदेशों में बसे भारतीयों की नागरिकता

संवैधानिक प्रावधान:

  • यदि कोई व्यक्ति भारतीय मूल का है और भारत के बाहर रहता है, तो वह भारतीय दूतावास में पंजीकरण (Registration) कराकर भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकता है।
  • यह सुविधा उन लोगों को मिलेगी जिनके माता-पिता या दादा-दादी भारतीय थे।
  • लेकिन विदेशी नागरिकता छोड़ना अनिवार्य होगा।

विदेशों में बसे भारतीयों के लिए क्यों जरूरी था यह अनुच्छेद?

  • ब्रिटिश शासन के दौरान हजारों भारतीयों को मॉरीशस, फिजी, दक्षिण अफ्रीका, मलेशिया और अन्य देशों में मजदूरी के लिए भेजा गया था।
  • यह प्रावधान उन्हें भारतीय नागरिकता का अवसर देता है, ताकि वे अपनी भारतीय पहचान बनाए रख सकें।

सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले:

1. प्रफुल्ल कुमार घोष बनाम भारत सरकार (1985)

  • भारतीय मूल के व्यक्ति को नागरिकता तभी मिलेगी जब वह विदेशी नागरिकता छोड़ देगा।

2. सुरेश कुमार बनाम भारत संघ (2002)

  • अदालत ने स्पष्ट किया कि भारतीय दूतावास में आवेदन करने पर ही नागरिकता दी जाएगी, यह स्वतः नहीं मिलेगी।

अनुच्छेद 9: किसी अन्य देश की नागरिकता लेने पर भारतीय नागरिकता समाप्त

संवैधानिक प्रावधान:

  • यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता लेता है, तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वतः समाप्त हो जाएगी।
  • भारत में दोहरी नागरिकता (Dual Citizenship) की अनुमति नहीं है।

क्यों जरूरी था यह अनुच्छेद?

  • भारत सरकार ने यह नीति अपनाई कि एक व्यक्ति एक ही देश का नागरिक हो सकता है।
  • इससे यह सुनिश्चित होता है कि भारतीय नागरिक सिर्फ भारत के प्रति निष्ठावान रहें और किसी अन्य देश की राजनीतिक संप्रभुता में शामिल न हों।

सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले:

1. ए.एच. खान बनाम भारत सरकार (1959)

  • कोर्ट ने कहा कि जो व्यक्ति किसी अन्य देश की नागरिकता ले चुका है, उसकी भारतीय नागरिकता स्वतः समाप्त हो जाएगी।

2. सुरेंद्र कुमार बनाम भारत संघ (1978)

  • अदालत ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति विदेशी पासपोर्ट प्राप्त करता है, तो उसे भारतीय नागरिक नहीं माना जाएगा।

3. डॉ. प्रकाश बनाम भारत सरकार (1995)

  • यदि कोई व्यक्ति भारतीय मूल का है लेकिन विदेशी नागरिक बन चुका है, तो उसे भारतीय नागरिकता के लिए नए सिरे से आवेदन करना होगा।

महत्वपूर्ण विवाद और मुद्दे

  1. लालकृष्ण आडवाणी मामला (1998):

    • लालकृष्ण आडवाणी पर यह आरोप लगा कि वे पाकिस्तान में जन्मे थे और विशेष प्रक्रिया से भारतीय नागरिक बने।
  2. विदेशों में बसे भारतीयों की दोहरी नागरिकता की मांग:

    • अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और अन्य देशों में बसे भारतीय दोहरी नागरिकता की मांग कर रहे हैं, लेकिन संविधान इसकी अनुमति नहीं देता।
  3. CAA (नागरिकता संशोधन कानून 2019):

    • इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया।
    • इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएँ दायर की गईं।

निष्कर्ष

  • अनुच्छेद 7 पाकिस्तान चले गए लोगों की नागरिकता को नियंत्रित करता है।
  • अनुच्छेद 8 विदेशों में बसे भारतीयों को नागरिकता प्राप्त करने का अवसर देता है।
  • अनुच्छेद 9 स्पष्ट करता है कि भारत में दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं है।
  • सुप्रीम कोर्ट के फैसले इन प्रावधानों को व्याख्यायित करते हैं और नागरिकता से संबंधित विवादों को सुलझाते हैं।

-Kaushal asodiya 

MOST WATCHED

Article 33, 34, 35 Explained in Hindi – सशस्त्र बलों के अधिकार और संविधान की सीमाएं पूरी जानकारी के साथ

Article 31 of Indian Constitution: Protection Against Right to Property & Legal Insights – भारतीय संविधान का अनुच्छेद 31

Operation Sindoor: कैसे Indian Media ने फैलाया Fake News और World Media ने दिखाया सच | Media Propaganda Exposed

Bharat ke Samvidhan ka Part 4 – Directive Principles of State Policy (DPSP) aur Kartavya in Hindi

Article 29 & 30 in Indian Constitution: सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकारों की पूरी जानकारी