हमारा संविधान, हमारी पहचान -8
हमारा संविधान, हमारी पहचान – 8
भारतीय संविधान की 12 अनुसूचियाँ (Schedules) और उनका विस्तृत विवरण | 12 Schedules of Indian Constitution in Hindi
भारतीय संविधान को संगठित और प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए इसे 12 अनुसूचियों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक अनुसूची शासन, प्रशासन, न्याय और सामाजिक ढांचे के अलग-अलग पहलुओं से जुड़ी है। आइए इन्हें विस्तार से समझते हैं।
भूमिका
भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। इसे बेहतर ढंग से समझने और लागू करने के लिए 12 अनुसूचियों (Schedules) का प्रावधान किया गया है। ये अनुसूचियाँ न केवल संविधान को व्यवस्थित बनाती हैं बल्कि शासन-प्रशासन की स्पष्ट दिशा भी तय करती हैं।
संविधान निर्माण के समय इसमें केवल 8 अनुसूचियाँ थीं। लेकिन समय-समय पर हुए संशोधनों के बाद अब यह संख्या 12 हो गई है। इन अनुसूचियों में राज्यों की सीमाओं से लेकर पंचायत और नगरपालिकाओं के अधिकार तक की जानकारी दी गई है।
भारतीय संविधान की 12 अनुसूचियाँ (Detailed Explanation)
1. पहली अनुसूची (First Schedule)
विषय: राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सूची
- इसमें भारत के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के नाम और उनकी सीमाओं का विवरण दिया गया है।
- संसद कानून बनाकर इन सीमाओं में बदलाव कर सकती है।
2. दूसरी अनुसूची (Second Schedule)
विषय: सरकारी अधिकारियों के वेतन और भत्ते
- इसमें राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा व राज्यसभा अध्यक्ष/उपाध्यक्ष, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के वेतन और भत्तों का प्रावधान है।
3. तीसरी अनुसूची (Third Schedule)
विषय: शपथ और प्रतिज्ञाएँ
- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्री, सांसद, न्यायाधीश और अन्य संवैधानिक पदधारियों द्वारा ली जाने वाली शपथ और प्रतिज्ञाएँ शामिल हैं।
4. चौथी अनुसूची (Fourth Schedule)
विषय: राज्यसभा में सीटों का आवंटन
- प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश के लिए राज्यसभा में कितनी सीटें होंगी, इसका उल्लेख किया गया है।
- यह आबादी के अनुपात में तय होता है।
5. पाँचवीं अनुसूची (Fifth Schedule)
विषय: अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातियों का प्रशासन
- आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन और विकास से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।
- “जनजातीय सलाहकार परिषद” (Tribal Advisory Council) का प्रावधान किया गया है।
6. छठी अनुसूची (Sixth Schedule)
विषय: पूर्वोत्तर राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों का प्रशासन
- असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के जनजातीय क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधान।
- “स्वायत्त जिला परिषदें” (Autonomous District Councils) बनाई गईं।
7. सातवीं अनुसूची (Seventh Schedule)
विषय: केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन
- इसमें तीन सूचियाँ शामिल हैं:
- संघ सूची (Union List) – संसद के अधिकार क्षेत्र में विषय।
- राज्य सूची (State List) – राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में विषय।
- समवर्ती सूची (Concurrent List) – केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं।
8. आठवीं अनुसूची (Eighth Schedule)
विषय: मान्यता प्राप्त भाषाएँ
- इसमें भारत की 22 भाषाएँ शामिल हैं।
- प्रारंभ में केवल 14 भाषाएँ थीं। बाद में संशोधनों से इसमें मैथिली, बोडो, डोगरी, संताली जैसी भाषाएँ जोड़ी गईं।
9. नौवीं अनुसूची (Ninth Schedule)
विषय: न्यायिक समीक्षा से बाहर कानून
- भूमि सुधार और समाजवादी नीतियों को न्यायिक हस्तक्षेप से बचाने के लिए बनाई गई।
- 1973 के केशवानंद भारती केस के बाद इसमें रखे गए कानून भी न्यायिक समीक्षा के दायरे में आ गए।
10. दसवीं अनुसूची (Tenth Schedule)
विषय: दल-बदल विरोधी कानून (Anti-Defection Law)
- यदि कोई सांसद या विधायक अपने दल को छोड़कर दूसरे दल में जाता है, तो उसकी सदस्यता समाप्त हो सकती है।
- 1985 में 52वें संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया।
11. ग्यारहवीं अनुसूची (Eleventh Schedule)
विषय: पंचायती राज व्यवस्था
- पंचायतों के अधिकार और जिम्मेदारियाँ तय करती है।
- इसमें 29 विषयों की सूची दी गई है।
- 73वें संविधान संशोधन (1992) से जोड़ी गई।
12. बारहवीं अनुसूची (Twelfth Schedule)
विषय: नगरपालिका प्रशासन
- नगरपालिकाओं के अधिकार और कर्तव्यों से जुड़ी है।
- इसमें 18 विषय शामिल हैं।
- 74वें संविधान संशोधन (1992) द्वारा जोड़ी गई।
विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण
संविधान की अनुसूचियाँ भारत के संघीय ढांचे को मज़बूत बनाती हैं।
- ये प्रशासनिक जटिलताओं को सरल करती हैं।
- राज्यों और केंद्र के बीच अधिकारों का स्पष्ट विभाजन करती हैं।
- न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के कामकाज को व्यवस्थित करती हैं।
लेकिन कई बार नौवीं अनुसूची जैसी व्यवस्थाओं को लेकर बहस होती रही है कि क्या संसद कानूनों को पूरी तरह न्यायिक समीक्षा से बाहर रख सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक ठहराते हुए स्पष्ट किया कि संविधान की मूल संरचना (Basic Structure) से समझौता नहीं किया जा सकता।
हाल के अपडेट्स
- 22 भाषाओं वाली आठवीं अनुसूची में और भाषाएँ शामिल करने की मांग समय-समय पर उठती रहती है।
- दसवीं अनुसूची यानी दल-बदल कानून को और सख्त बनाने पर भी चर्चा जारी है।
- पंचायतों और नगरपालिकाओं (11वीं और 12वीं अनुसूची) की शक्तियों को मजबूत करने के लिए लगातार सुधारों पर विचार किया जा रहा है।
निष्कर्ष
भारतीय संविधान की 12 अनुसूचियाँ हमारे शासन और प्रशासन का आधार स्तंभ हैं। ये अनुसूचियाँ संविधान को न केवल व्यवस्थित बनाती हैं, बल्कि इसे व्यवहारिक भी बनाती हैं।
संविधान की गहराई को समझना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है, क्योंकि यही हमें अपने अधिकारों और कर्तव्यों की सही जानकारी देती हैं। एक जागरूक नागरिक बनकर ही हम अपने लोकतंत्र को मजबूत कर सकते हैं।
जय संविधान! जय भारत!
✍️ — Written by Kaushal Asodiya
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