"Indian Citizenship: भारत की नागरिकता के नियम, प्रक्रिया, पात्रता और CAA की पूरी जानकारी
Indian Citizenship: भारत की नागरिकता के नियम,
कानून और प्रक्रिया पूरी जानकारी
परिचय
भारतीय नागरिकता (Indian Citizenship) एक संवैधानिक और कानूनी संकल्पना है, जो यह निर्धारित करती है कि कौन भारतीय नागरिक होगा और कौन नहीं। भारतीय संविधान के भाग-II (अनुच्छेद 5 से 11) में नागरिकता से जुड़े प्रावधान दिए गए हैं। इसके अलावा, भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 (Citizenship Act, 1955) नागरिकता प्राप्त करने, बनाए रखने और समाप्त करने के तरीकों को निर्धारित करता है।
नागरिकता प्राप्त करने के कई तरीके हैं, जैसे जन्म से, वंशानुक्रम से, पंजीकरण से, देशीयकरण द्वारा, और क्षेत्रीय समावेशन के माध्यम से। साथ ही, नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA, 2019) ने भी नागरिकता के कुछ प्रावधानों में बदलाव किए हैं। इस लेख में हम विस्तार से भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की प्रक्रिया, उसके नियमों और CAA के प्रभाव को समझेंगे।
भारतीय नागरिकता के संवैधानिक प्रावधान
भारतीय संविधान में नागरिकता से संबंधित प्रावधान भाग-II में दिए गए हैं:
1. अनुच्छेद 5: भारतीय नागरिकता का अधिकार
निम्नलिखित व्यक्ति भारतीय नागरिक होंगे:
- जो 26 जनवरी 1950 को भारत के क्षेत्र में जन्मे थे।
- जिनके माता-पिता में से एक भारत में जन्मा था।
- जो भारत में सामान्य रूप से निवास कर रहे थे।
2. अनुच्छेद 6: पाकिस्तान से भारत आए प्रवासियों की नागरिकता
- जो 19 जुलाई 1948 से पहले भारत आ गए थे, वे भारतीय नागरिक माने गए।
- जो 19 जुलाई 1948 के बाद आए, उन्हें नागरिकता प्राप्त करने के लिए पंजीकरण कराना पड़ा।
3. अनुच्छेद 7: पाकिस्तान गए व्यक्तियों की नागरिकता
- यदि कोई व्यक्ति विभाजन के बाद भारत से पाकिस्तान गया और फिर वापस भारत लौटा, तो उसकी नागरिकता भारत सरकार के निर्णय पर निर्भर करेगी।
4. अनुच्छेद 8: विदेशों में रहने वाले भारतीयों की नागरिकता
- भारत के बाहर रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्ति भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
5. अनुच्छेद 9: दोहरी नागरिकता का निषेध
- भारत दोहरी नागरिकता (Dual Citizenship) की अनुमति नहीं देता। यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य देश की नागरिकता लेता है, तो उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो जाएगी।
6. अनुच्छेद 10 और 11: नागरिकता बनाए रखने और समाप्त करने का प्रावधान
- संसद को नागरिकता से संबंधित नए कानून बनाने की शक्ति प्राप्त है।
भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत नागरिकता प्राप्त करने के तरीके
भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत नागरिकता प्राप्त करने के पाँच तरीके हैं:
1. जन्म से नागरिकता (By Birth)
- यदि कोई व्यक्ति 26 जनवरी 1950 से 1 जुलाई 1987 के बीच भारत में जन्मा है, तो वह भारतीय नागरिक होगा।
- 1 जुलाई 1987 से 3 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे व्यक्ति तभी भारतीय नागरिक होंगे जब उनके माता-पिता में से एक भारतीय नागरिक हो।
- 3 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे व्यक्ति तभी नागरिक होंगे जब उनके माता-पिता में से एक भारतीय नागरिक हो और दूसरा अवैध प्रवासी न हो।
2. वंशानुक्रम से नागरिकता (By Descent)
- यदि कोई व्यक्ति भारत के बाहर जन्मा है और उसके माता-पिता में से एक भारतीय नागरिक है, तो वह भी भारतीय नागरिक हो सकता है।
- 3 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे व्यक्ति को भारतीय नागरिकता तभी मिलेगी जब उसके माता-पिता ने भारतीय दूतावास में उसका पंजीकरण कराया हो।
3. पंजीकरण द्वारा नागरिकता (By Registration)
निम्नलिखित व्यक्ति भारत में पंजीकरण कराकर नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं:
- वे जो भारत में 7 साल तक रह चुके हों।
- वे जो किसी भारतीय नागरिक से विवाह कर चुके हों और 7 साल भारत में रह चुके हों।
- वे जो भारत में पैदा हुए थे और भारत में 7 साल से रह रहे हों।
4. देशीयकरण द्वारा नागरिकता (By Naturalization)
- यदि कोई विदेशी व्यक्ति भारत में 12 वर्षों तक रह चुका है (जिसमें पिछले 12 महीनों का निवास अनिवार्य है और उससे पहले 11 वर्षों में कुल 11 वर्ष भारत में रहा हो), तो वह भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है।
- सरकार उसे नागरिकता प्रदान करने या न करने का निर्णय ले सकती है।
5. क्षेत्रीय समावेशन द्वारा नागरिकता (By Incorporation of Territory)
- यदि भारत में कोई नया क्षेत्र जुड़ता है, तो वहां रहने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है।
भारतीय नागरिकता समाप्त करने के तरीके
भारतीय नागरिकता तीन प्रकार से समाप्त हो सकती है:
- त्याग (Renunciation) – यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से अपनी नागरिकता छोड़ देता है।
- निष्कासन (Termination) – यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण कर लेता है, तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वतः समाप्त हो जाती है।
- राज्यहरण (Deprivation) – यदि किसी व्यक्ति को नागरिकता गलत दस्तावेजों के आधार पर मिली है या वह देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है, तो सरकार उसकी नागरिकता समाप्त कर सकती है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (CAA)
2019 में सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA, 2019) पारित किया, जो अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने से संबंधित है। इस अधिनियम के तहत:
- जो लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए और कम से कम 5 साल तक भारत में रहे, वे नागरिकता के लिए पात्र होंगे।
- इस कानून में मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया, जिसके कारण देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए।
- यह अधिनियम उन राज्यों पर भी प्रभाव डालता है जहां अवैध प्रवासियों का मुद्दा संवेदनशील है, जैसे असम और पूर्वोत्तर भारत।
CAA का प्रभाव
- CAA के समर्थन में कहा गया कि यह शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का एक मानवीय प्रयास है।
- आलोचकों का कहना था कि यह अधिनियम भारत के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ है क्योंकि इसमें मुस्लिम शरणार्थियों को शामिल नहीं किया गया।
- CAA को NRC (National Register of Citizens) से जोड़कर देखा गया, जिससे कई लोग चिंतित हुए कि इससे कुछ समुदायों की नागरिकता प्रभावित हो सकती है।
भारतीय नागरिकता और मताधिकार
भारतीय नागरिक होने के कुछ महत्वपूर्ण अधिकार होते हैं, जैसे:
- मतदान का अधिकार
- सरकारी नौकरी पाने का अधिकार
- संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का लाभ
- विदेशों में भारतीय दूतावास से सहायता प्राप्त करने का अधिकार
साथ ही, नागरिकों के कुछ कर्तव्य भी होते हैं, जैसे:
- संविधान और कानूनों का पालन करना
- देश की संप्रभुता और अखंडता बनाए रखना
- राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज का सम्मान करना
निष्कर्ष
भारतीय नागरिकता केवल कानूनी अधिकार ही नहीं, बल्कि यह एक व्यक्ति की भारतीयता से जुड़ी पहचान भी है। संविधान और भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के माध्यम से नागरिकता को नियंत्रित किया जाता है। हाल के वर्षों में नागरिकता से जुड़े मुद्दे, जैसे CAA और NRC, राजनीतिक और सामाजिक बहस के महत्वपूर्ण विषय बन गए हैं।
भारतीय नागरिकता न केवल व्यक्ति को अधिकार प्रदान करती है, बल्कि उससे कुछ कर्तव्यों की भी अपेक्षा करती है। इसलिए, हर भारतीय नागरिक को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहना चाहिए, जिससे देश की एकता और अखंडता बनी रहे।
Kaushal Asodiya