अनुच्छेद 24: बाल श्रम पर प्रतिबंध | Article 24 Child Labour Ban in India



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अनुच्छेद 24: बाल श्रम पर प्रतिबंध

क्या आप जानते हैं कि भारत में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम करवाना गैरकानूनी है?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 24 बाल श्रम (Child Labour) पर सख्त प्रतिबंध लगाता है और बच्चों के शिक्षा, स्वास्थ्य और समग्र विकास के अधिकार को सुनिश्चित करता है।

इस लेख में हम अनुच्छेद 24 के कानूनी प्रावधानों, ऐतिहासिक संदर्भ, महत्वपूर्ण न्यायिक फैसलों और वर्तमान स्थिति पर विस्तृत चर्चा करेंगे।


📜 अनुच्छेद 24: संवैधानिक प्रावधान

अनुच्छेद 24 कहता है:
"कोई भी बच्चा जो चौदह वर्ष से कम उम्र का है, उसे किसी कारखाने, खान या अन्य किसी खतरनाक कार्य में नियुक्त नहीं किया जाएगा।"

14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से किसी भी खतरनाक उद्योग में श्रम कराना प्रतिबंधित है।
यह अनुच्छेद उन्हें शोषण और जबरन श्रम से बचाने के लिए बनाया गया है।
इस कानून का उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

👉 महत्वपूर्ण केस: M.C. Mehta vs. State of Tamil Nadu (1996) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए और बाल श्रमिकों के पुनर्वास के लिए नीति बनानी चाहिए।


⚖️ बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986

संविधान के अनुच्छेद 24 को प्रभावी बनाने के लिए भारत सरकार ने बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 लागू किया, जिसमें निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं:

14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खतरनाक उद्योगों में काम करने की अनुमति नहीं है।
14-18 वर्ष की आयु के बच्चों को भी अत्यधिक खतरनाक कार्यों में नहीं लगाया जा सकता।
बाल श्रम कानून का उल्लंघन करने वाले नियोक्ताओं पर कठोर दंड और जुर्माने का प्रावधान है।

👉 महत्वपूर्ण केस: Bachpan Bachao Andolan vs. Union of India (2016) – सुप्रीम कोर्ट ने बाल मजदूरी पर सख्ती से रोक लगाने और दोषियों को कठोर दंड देने का आदेश दिया।


🔍 बाल श्रम के कारण और प्रभाव

भारत में गरीबी, शिक्षा की कमी, सामाजिक असमानता और कमजोर कानूनों के कारण बाल मजदूरी की समस्या बनी हुई है।

🔹 बाल श्रम के प्रमुख कारण

गरीबी – परिवारों की आर्थिक तंगी बच्चों को श्रम करने के लिए मजबूर करती है।
शिक्षा की कमी – सरकारी योजनाओं के बावजूद सभी बच्चों को शिक्षा का अवसर नहीं मिलता।
कानूनी जागरूकता का अभाव – कई माता-पिता और नियोक्ता बाल श्रम कानूनों से अनजान होते हैं।
सस्ते श्रम की मांग – नियोक्ता सस्ती मजदूरी के लिए बच्चों को काम पर रखते हैं।

👉 महत्वपूर्ण केस: Labourers Working on Salal Hydro Project vs. State of J&K (1984) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष नीति बनानी चाहिए।

🔹 बाल श्रम के गंभीर प्रभाव

शारीरिक और मानसिक विकास पर असर
बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन
शिक्षा से वंचित होना
खतरनाक परिस्थितियों में कार्य करने से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव


📢 भारत में बाल श्रम की स्थिति और सरकारी प्रयास

भारत सरकार ने बाल श्रम को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की हैं:

राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (NCLP): प्रभावित बच्चों को शिक्षा और पुनर्वास सहायता प्रदान करना।
मिड-डे मील योजना: सरकारी स्कूलों में बच्चों को भोजन देकर उन्हें स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित करना।
आरटीई अधिनियम, 2009: 6-14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ: विशेष रूप से बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए।

👉 महत्वपूर्ण केस: Unni Krishnan vs. State of Andhra Pradesh (1993) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का एक अनिवार्य हिस्सा है।


🔍 अनुच्छेद 24 और अन्य संवैधानिक अनुच्छेदों का संबंध

अनुच्छेद 14 – कानून के समक्ष समानता।
अनुच्छेद 15(3) – बच्चों के विशेष सुरक्षा उपायों की अनुमति।
अनुच्छेद 21A – 6-14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार।
अनुच्छेद 39(e) और 39(f) – बच्चों के शोषण को रोकने और उनके विकास को सुनिश्चित करने के निर्देश।

👉 महत्वपूर्ण केस: PUCL vs. Union of India (1998) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को बाल श्रम समाप्त करने के लिए प्रभावी योजनाएं लागू करनी चाहिए।


🔹 निष्कर्ष: अनुच्छेद 24 का महत्व

✅ यह बच्चों को शोषण और जबरन श्रम से बचाने में मदद करता है।
✅ यह शिक्षा और समग्र विकास को बढ़ावा देता है।
✅ यह सुनिश्चित करता है कि बच्चों का बचपन सुरक्षित और उज्ज्वल हो।

📢 क्या आपको लगता है कि भारत में बाल श्रम को पूरी तरह खत्म करने के लिए और सख्त कदम उठाने की जरूरत है? अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!

✍️ लेखक: Kaushal Asodiya



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