Labour Day 2025: Dr. Babasaheb Ambedkar ka Historic Role in Mazdoor Adhikaar aur Indian Constitution
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस और डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर: श्रमजीवी समाज के महान रचनाकार को समर्पित एक दिन लेखक: कौशल असोदिया "मज़दूरों के अधिकारों के मूल शिल्पकार – डॉ. बी.आर. अम्बेडकर" "श्रमिक दिवस, अम्बेडकर की विरासत के बिना अधूरा है।" हर साल 1 मई को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस (International Labour Day) मनाया जाता है। भारत में भी यह दिन श्रमिकों और कामगारों के अधिकारों की रक्षा और सम्मान के लिए समर्पित होता है। लेकिन जब हम भारत में मजदूरों के अधिकारों, सामाजिक न्याय और संविधान में समाहित श्रमिक कल्याण की बात करते हैं, तो एक नाम अनिवार्य रूप से उभरता है — डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर। बहुत कम लोग जानते हैं कि भारत में श्रमिकों के अधिकारों की नींव रखने का श्रेय मुख्यतः डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर को जाता है। चाहे वह श्रमिक कानून हो, काम के घंटे हों, न्यूनतम वेतन की व्यवस्था हो या महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश — इन सभी क्रांतिकारी कदमों के पीछे अम्बेडकर का योगदान अनमोल है। --- अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस की उत्पत्ति और भारत में उसका महत्व अंतर्राष्ट्रीय स...